एकांश आस्था को बाहों मे लेकर सो गया ..... उसे उसके प्यार का अहसास हो गया था .... लेकिन आस्था .... उसका क्या ... क्या उसे इतनी समज थी की वो प्यार मोहब्बत जैसे जज्बातों को समज पाये ..... नही .... she was an innocent girl .... जिसके लिये प्यार का मतलब सिर्फ उसकी माँ थी .. थी हा .... उसके दिल मे .... एकांश के लिये कुछ तो था ..... लेकिन ये कुछ क्या हे .... ये उसके समज से परे था .... शायद अहसान ..... यही वजह तो जो उसे एकांश के करीब ला रही थी ..... कुँवरजी