फिल्हाल विचाराधीन है - 2

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सुबह 7 बजे का वक़्त है। जावेद साहब, बरामदे में बैठ कर पेपर पढ़ रहे हैं, बेगम से भी गपशप चल रहा है। गाहे- ब-गाहे दरवाज़े पर भी निग़ाह डाल लेते हैं। गोया उन्हें किसी का इंतज़ार हो। आख़िर इतनी सुबह- सुबह जावेद साहब को किसका इंतज़ार है?? तभी बाहर गाड़ी के रुकने की आवाज़ आती है। गेट खुलता है और बाहर से ही सलाम करता हुआ एक शख्स़ अंदर दाख़िल होता है। जिसकी उम्र क़रीब 30 के आस- पास होगी। ऊँचा लम्बा क़द, बड़ी- बड़ी आँखें, कुशादा पेशानी, मुस्कुराता हुआ चेहरा। जावेद साहब खड़े हो जाते हैं और उसे