उस दिन सारी रात धनीराम के विकृत शरीर और रास्ते में उस साये का दिखना मेरी आँखों के सामने ही छाया रहा, फिर जब सुबह हुई तो सबसे पहले मैंने सूर्योदय को अपने पास बुलाया,और उस से रात की उस घटना के बारे में पूंछा,जिसे देखकर वह इतना डर गया था.....सूर्योदय ने बताया कि वह लैम्प की रोशनी में अपने मिट्टी के खिलौनों के साथ खेल रहा था,तभी पास में रखे हुए कपड़े के एक पुतले में हरकत हुई....वह पुतला जोर से हिलने के बाद हवा में उड़ता हुआ बिना किसी सहायता के ही ऊंचाई पर लटकने लगा और उसकी