हांटेड एक्सप्रेस - (भाग 03)

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मुझे मेरे घरेलू नाम से सम्बोधित करने के बाद वह टीसी उस डिब्बे से उतर कर जा चुके थे...शायद आगे की यात्रा वह इंजन में अपने सहकर्मियों के साथ बैठ कर ही करने वाले थे...मैं हतप्रभ था....मन किया कि उसके पीछे जाकर अपनी शंका का समाधान कर आऊँ,पर तब तक मुझे महसूस हुआ कि ट्रेन आगे बढ़ चली है। तभी मैंने गौर किया कि कुछ देर पहले सामने बैठे जिस वृद्ध व्यक्ति से मैंने कुछ पूंछना चाहा था,वह तब से अभी तक लगातार मुझे घूर रहा है....उसकी नजरें लगातार मेरी ओर ही है,यह बात मुझे कुछ अजीब सी लगी.....मैंने डिब्बे