यादवेंद्र को इंतजार था, महेश जैन के फैसले का। कई दिन बीत जाने के बाद वह दोबारा जाने की सोच ही रहा था कि उनकी तरफ से किसी का फोन आया कि विधायक जी आपको याद कर रहे हैं। मिलने का समय तय कर लिया गया और निश्चित समय पर वह उनकी कोठी पर जा पहुँचा, लेकिन इस बार उनका स्वागत महेश जैन की बजाए उनके पुत्र सन्नी ने किया। सन्नी ने बड़े अदब से उनके चरण स्पर्श किए, जिससे यादवेंद्र गदगद हो उठा। उसने कहा, "बेटा जी विधायक जी कहाँ हैं।" "पापा को अचानक काम हो गया, इसलिए उन्होंने