टोलेडो विश्वविद्यालय कर परिसर खिला खिला सा। खिलेफूल जैसे आपस में बतियाते हुए। दिन के दस बजे हैं। एक नवजवान ठिठकता सा परिसर में प्रवेश करता है। रंग श्याम है पर कणाश्म (ग्रेनाइट) की तरह दमकता हुआ। गठा शरीर। परिसर में पहली बार आया है सहज, स्वाभाविक संकोच । वाचनालय के प्रशासनिक कक्ष में बैठी एक युवती ने युवक को देखा। 'गठीला नवजवान' उसके मुख से निकला। वह उठी। नवजवान के पास पहुँच, ‘हलो-हाय’। ‘मेरी मॉम मुझे मिमी कहती है ।''कितना प्यारा सम्बोधन, नवजवान की आवाज़ और मीठी हो गई। 'मेरी माँ मुझे बामा कहकर पुकारती है।' 'क्या तुम छोटे