सुहासिनी को इस तरह रोता देख गीता मैडम ने कहा, "तुम्हें कुछ नहीं होगा सुहासिनी तुम हिम्मत रखो।" "बस वही तो नहीं है ना दीदी वरना ..." "नहीं सुहासिनी हमारे समाज में इस तरह बच्चे को जन्म देना आसान नहीं है। तुम कहाँ डरीं तुमने तो उसे जन्म दिया। यदि कोई और होती तो बच्चे को ख़त्म करके ख़ुद के जीवन को आगे बढ़ा लेती और फिर धीरे-धीरे उस हादसे को शायद भूल भी जाती पर तुमने ऐसा नहीं किया। पाप तो उसने किया है सुहासिनी। सजा तो भगवान ने उसे देनी चाहिए थी। भगवान ने भले ही उसे छोड़