हर्जाना - भाग 8

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आयुष्मान अब तक समझ चुका था कि सुहासिनी कोई और नहीं उसकी माँ है क्योंकि जब उसने यह कहा था कि आज से 25 साल पहले मैं खून से लथपथ एक बच्चे को आप की पनाह में छोड़ गई थी, आज उसका जन्मदिन है और वही मेरा बेटा है दीदी। आयुष्मान को उसके बाद यह समझने में बिल्कुल समय नहीं लगा था। वह अपना जन्मदिन कभी नहीं मनाता था क्योंकि इसे तो वह मनहूस दिन मानता था। आज ही के दिन तो उसका तिरस्कार हुआ था। आयुष्मान आज के दिन केवल गीता माँ के पास आकर उनके पांव को स्पर्श