शाहिद लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर आया,उसने सोचा कि किस होटल में कमरा लूँ,यहाँ तो मैं किसी को जानता भी नहीं,तभी एकायक उसके मन में विचार आया क्यों ना तिवारी मोहल्ले में ही कोई होटल तलाश करूँ,शायद वहाँ रहने के लिए कोई अच्छा सा होटल मिल जाएं और जिस काम के लिए मैं यहाँ आया हूँ हो सकता है वो काम भी पूरा हो जाए,यही सब सोचकर शाहिद ने एक टैक्सी रुकवाई और टैक्सी ड्राइवर से पूछा.... "भाई!तिवारी मुहल्ले चलोगे" "हाँ!क्यों नहीं चलेगें साहब!जरूर चलेगे",टैक्सी ड्राइवर बोला... "ठीक है तो चलो",इतना कहकर शाहिद ने अपना सामान टैक्सी में रखा और फिर