अपराह्न दो बजे का समय। गोण्डा का बस स्टेशन। दिल्ली जाने वाली बस में लोग बैठ रहे हैं। चालक और परिचालक दिल्ली.........दिल्ली की हाँक लगाते हुए। अभी बस भरी नहीं है। कभी कभी तो एक दम ठसाठस भर जाती है पर आज अभी आधी ही भर पाई है। बस में एक तेरह साल का लड़का लोचन उदास बैठा है। अगल-बगल के लोग उतर गए हैं। सीट मिल गई है इसलिए आश्वस्त हैं। कोई गुटका कोई पान खा रहा है। सत्तर साल का एक आदमी आता है। बच्चे के सामने बैठ जाता है। उसके हाथ हलके से कांपते हैं। 'बच्चा ठीक