पापा कहां थे आप पतझड़ का मौसम था। पेड़ों के पीले पड़े हुए पत्ते जमीन को ढक कर मानो बिछौना सा बना रहे थे। शहर का बाहरी इलाका वीराने का सा एहसास कराता था । पेड़- पौधे अपने पत्तों के बिछोह में दुखी होकर मानो सूखने का आभास करा रहे थे । राघव और अनीता भी अपने बेटे कुणाल को बोर्डिंग स्कूल में छोड़ने देहरादून जा रहे थे । कुणाल बहुत उदास था । उसकी उम्र ही क्या थी, ग्यारह का भी पूरा नहीं हुआ था, पांचवी कक्षा की परीक्षा ही उत्तीर्ण की