प्रेम गली अति साँकरी - 49

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49---- =============== मैं गाड़ी में बैठ ही रही थी कि मुझे रुक जाना पड़ा | उत्पल ड्राइविंग-सीट पर बैठ चुका था और बैल्ट लगा रहा था | वैसे उसकी आदत थी कि जब वह कहीं भी मुझे अपने साथ ले जाता, पहले मेरी ओर का दरवाज़ा खोलकर बड़े आदब से जैसे मुझे बैठने का संकेत करता लेकिन आज उसने ऐसा नहीं किया था, मुझसे नाराज़ जो था | मेरे भीतर उसका बचपना हँस रहा था लेकिन अचानक ही----आवाज़ सुनाई दी और शिष्टाचार के लिहाज़ से पूछना पड़ा|  “ओह ! आप ?कैसे हैं ?"उसकी गाड़ी हमारे समीप ही आकर रुकी थी