ताश का आशियाना - भाग 26

  • 3.1k
  • 1.5k

सिद्धार्थ का उस दिन जंगी स्वागत हुआ। घर आते ही नारायण जी ने सिद्धार्थ के गाल पर बिना कुछ खरी खोटी सुनाएं तमाचा लगा दिया। सिद्धार्थ की आंखों में कुछ देर के लिए आंसू की बूंदे भर गई क्योंकि सिद्धार्थ और उसके पिता में चाहे कितना भी घमासान युद्ध छिड़े लेकिन कभी सिद्धार्थ को तमाचा मारने की बात उन्हें सूची नहीं। लेकिन किसी पराए के कारण उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचने वाली बात उनके मन को कठोर कर चुकी थी, जिसका छाप सिद्धार्थ की गालों पर छपा था। सिद्धार्थ ने अपना गला गटका अपने आंसू बहने से रोक लिए