लहरों की बाांसुरी - 5

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5 जिस वक्‍त रेत पर हमारी कुर्सियां लगायी गयी हैं बारह बज रहे हैं। अचानक अंजलि ने वेटर को बुलवाया है और एक पैकेट सिगरेट और लाइटर लाने के लिए कहा है। हमम। मैं मुस्‍कुराता हूं - इसी की बस कमी थी। अंधेरे में अंजलि सामने विशाल समंदर की बार बार पास आती और सिर पटक कर लौट जाती लहरों की तरफ देख रही हैं। जैसे खुद को अपनी कहानी सुनाने के लिए तैयार कर रही हैं। सिगरेट मंगवाना भी उसी तैयारी का हिस्‍सा है। उन्‍होंने सिगरेट सुलगायी है और पहला कश लगाया है - 17 बरस की थी जब