कोख़ में हत्या

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अमन कुमार त्यागी  सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि का परिचायक है।’ सौम्य, सुंदर, सुशील सुधा ने भले ही मायके में अमीरी के दिन देखे हों मगर ससुराल की ग़रीबी में भी वह अमीरों जैसी ख़ुश थी। यहाँ तक कि सुधा ने अपनी ससुराल की ग़रीबी को कभी अपने मायके में ज़ाहिर नहीं होने दिया। सुधा का पति राजेश नेक इंसान था। मुहल्ला या रिश्तेदार ही क्या पूरे नगर में कोई भी उसकी