दिल सहमा सा

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हैलो दोस्तों , तो ये कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो शायद अब भी एक बच्चा है, जो नन्हे बच्चों से बहुत लगाओ रखता है ,पर अभी वो एक बेजूबान जानवर जैसा महसूस कर रहा है हा , वो ऐसे समय मे है जो अपनी बात किसी से कह नहीं सकता जो बच्चों से बात करना तो चाहता है पर वो कर नहीं सकता वो अकेले कहीं बैठता है तो कांपता है वो रोना चाहता है पर रो नहीं सकता वो नहूत कॉसहिश कोशिश करता है पर उसकी आँखों से एक बूंद भी आँसुन नहीं निकलता वो चीख नहीं