खेल खौफ का - 15

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काउंटडाउन शुरू हो चुका था. किसी भी तरह मुझे वो बॉक्स खोजना ही था. अपने भाई की जिंदगी के लिए. मैं दौड़ती हुई सीधे चौथे फ्लोर पर जा पहुंची. वहां कोई भी रूम लॉक्ड नहीं था. सो मैं आराम से कमरे के अंदर जा घुसी. अंदर सैकड़ों की संख्या में पेंटिंग्स, मूर्तियां, एक से बढ़कर एक बेहतरीन टेराकोटा पड़े हुए थे. सभी पेंटिंग्स एक से बढ़कर एक खूबसूरत लग रही थी मानो अभी बोल पड़ेंगी. हर तस्वीर और मूर्ति की आंखें मानो मुझे घूर रही थी. मुझे बहुत अनकम्फर्टेबल फील होने लगा था. मुझे उनकी नजरें चुभती हुई सी महसूस