जीवन सूत्र 511 ईश्वर को देखने के लिए विशेष दृष्टि चाहिए गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:-न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा।दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमैश्वरम्।।11/8।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन!परन्तु तुम अपने इन्हीं प्राकृत नेत्रों के द्वारा मुझे देखने में समर्थ नहीं हो।मैं तुम्हें दिव्यचक्षु देता हूँ, जिससे तुम मेरे ईश्वरीय योगशक्ति व सामर्थ्य को देखो। 11 वें अध्याय के प्रारंभ में अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से उनकी अविनाशी स्वरूप के दर्शन का निवेदन करते हैं। इस पर पूर्व के श्लोक में भगवान उनसे कहते हैं कि अब मेरे इस शरीर में एक ही जगह स्थित चर