जीवन सूत्र 509 खुशहाली के दीप जलेभगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है -तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः।नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता।।10/11।।इसका अर्थ है,हे अर्जुन!भक्तों पर कृपा करनेके लिये ही उनमें आत्मतत्व के रूप में रहनेवाला मैं उनके अज्ञानजन्य अन्धकारको प्रकाशमय ज्ञानरूप दीपक के द्वारा पूरी तरह नष्ट कर देता हूँ। यह श्री कृष्ण द्वारा अपने भक्तों के लिए सबसे बड़ी घोषणा है।उनके ध्यान में लगे हुए भक्तों को वे तत्व ज्ञान रूपी योग प्रदान करते हैं। वे स्वयं उनके अंतः करण में स्थित हो जाते हैं और जिस तरह दीपक अंधेरे को नष्ट करता है उसी तरह से वे ज्ञान से भक्तों के