रात के ठीक नौ बज चुके थे,सीकर शहर की दूरी अभी पचास किलोमीटर थी। सुधाकर को घर जाने की आज जितनी जल्दी थी,ये कम्बख्त कार खराब हो जाने की वजह से उतनी ज्यादा देरी हो रही थी, शायद फ्यूल टैंक में कोई समस्या आ गयी थी इस वजह से थोड़ा सा चलने के बाद कार बंद हो रही थी। वह ऑफिस की एक आपातकालीन मीटिंग में शामिल होने के लिए अपने शहर सीकर से जयपुर गया था,जहां से लौटते वक्त अंधेरा हो चुका था। घर से पत्नी मोहिनी और बेटे हर्षित का अब तक कई बार कॉल आ चुका था।