गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 147

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जीवन सूत्र 426 ध्यान से समाधान महर्षि पतंजलि ने कहा है-योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:।वहीं कपिल मुनि के अनुसार मन के निर्विषय होने का नाम ध्यान है-ध्यान निर्विषयं मन:। सचमुच मन को विषय से रहित करना बड़ा कठिन काम है। गीता के अध्याय 6 के श्लोक 11 और 12 में भगवान कृष्ण ने ध्यान की विधि बताई है-शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः |नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम् ।।11।।तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः |उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये ।।12।।अर्थात योग के अभ्यास के लिए योगी एकान्त स्थान में जाए।भूमि पर कुशा बिछा दे और फिर उसे मृगछाला से ढँके। ऊपर से मुलायम वस्त्र बिछा दे। आसन न तो बहुत ऊँचा हो, न