जीवन सूत्र 406 प्राण और अपान वायु को सम करने का अभ्यासभगवान श्री कृष्ण और जिज्ञासु अर्जुन की चर्चा जारी है।जो प्राण और अपान वायु को सम करते हैं। जिनकी इन्द्रियाँ, मन और बुद्धि अपने वश में हैं,जो मोक्ष-परायण है तथा जो इच्छा,भय और क्रोध से सर्वथा रहित हैं,वे साधक सदा (सांसारिक बंधनों से)मुक्त ही हैं। (28 वें श्लोक से आगे का प्रसंग: पांचवें अध्याय का समापन 29 वां श्लोक)ज्ञान के माध्यम से प्राण वायु की साधना की जा सकती है। जीवन सूत्र 407 मन की उड़ान और बुद्धि के विलास पर विवेक की लगाममन की उड़ान और बुद्धि के