गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 124

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जीवन सूत्र 312 अच्छे कर्म करें फिर बुरे कर्म का त्याग हो जाएगा आवश्यकगीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है: -संन्यासस्तु महाबाहो दुःखमाप्तुमयोगतः ।योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्म नचिरेणाधिगच्छति।5/6। इसका अर्थ है,परन्तु हे महाबाहो!कर्मयोग के बिना संन्यास सिद्ध होना कठिन है।भगवान की प्रार्थना और भक्ति में मननशील कर्मयोगी शीघ्र ही परब्रह्म परमात्मा के आशीर्वाद और कृपा को प्राप्त हो जाता है। कर्म योग की महत्ता प्रतिपादित करते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कर्म किए बिना उन कर्मों के त्याग का प्रश्न ही नहीं है,जो मानव के आध्यात्मिक मार्ग में बाधक हैं।योगी की असली परीक्षा जीवन के पथरीले