जीवन सूत्र 301 सभी रास्ते एक ईश्वर तक जाते हैंगीता में भगवान श्री कृष्ण ने वीर योद्धा अर्जुन से कहा है:-सांख्ययोगौ पृथग्बालाः प्रवदन्ति न पण्डिताः।एकमप्यास्थितः सम्यगुभयोर्विन्दते फलम्।।5/4।।इसका अर्थ है, अज्ञानी लोग सांख्ययोग और कर्मयोगको अलग-अलग फल प्रदान करने वाले कहते हैं, न कि पण्डितजन; क्योंकि इन दोनों में से किसी एक माध्यम में भी अच्छी तरहसे स्थित मनुष्य दोनों के फलरूप में परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। गीता के प्रारंभिक अध्याय में ज्ञान और कर्म की अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और इस पांचवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग की श्रेष्ठता के संबंध में अपना