जीवन सूत्र 264 क्रियमाण कर्म - हमारे वर्तमान कार्य एवं उसके फल भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है: -यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन।ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा।।4/37।।इसका अर्थ है,हे अर्जुन!जैसे प्रज्वलित अग्नि ईंधनों को सर्वथा भस्म कर देती है, ऐसे ही ज्ञानरूपी अग्नि सम्पूर्ण कर्मों (के फल)को सर्वथा भस्म कर देती है। इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने संपूर्ण कर्मों के फल के ज्ञान की अग्नि में भस्म हो जाने की बात कही है।वास्तव में कर्मों के फल ही हमारी आसक्ति और बंधन का कारण बनते हैं। अगर कर्म करते समय आसक्ति और कर्तापन का त्याग हो गया तो फिर ये