गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 99

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जीवन सूत्र 196 कर्मों में सात्विकता लाकर उसे बनाएं अकर्म गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है: -कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः।स बुद्धिमान् मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत्।4/18।इसका अर्थ है,जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखता है(कर्म में संलग्न होते हुए भी योगी भाव है)और जो अकर्म में कर्म देखता है,वह मनुष्यों में बुद्धिमान् है,योगी है और सम्पूर्ण कर्मों को करने वाला है। पिछले आलेख में हमने नित्य कर्म,नैमित्तिक कर्म और काम्य कर्म की चर्चा की। जीवन सूत्र 197 लक्ष्य का सर्वथा त्याग अनुचितवास्तव में कर्म करने के समय यह असंभव है कि बिना कोई लक्ष्य या उद्देश्य