गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 94

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जीवन सूत्र 171 मनुष्य के गुणों के आधार पर उनके कर्म निर्धारितगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:-चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्।।4/13।।इसका अर्थ है,हे अर्जुन!मेरे द्वारा गुणों और कर्मों के विभागपूर्वक चारों वर्णों(ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र)की रचना की गई है।उस सृष्टि-रचना के प्रारंभ का कर्ता होने पर भी मुझ अविनाशी(व्यय न होने वाले) को तू अकर्ता मान। भगवान श्री कृष्ण ने वर्ण व्यवस्था को गुण और कर्मों पर आधारित कहा है।स्पष्ट रूप से प्रारंभ में भारत की प्राचीन वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित थी। प्रारंभ में केवल एक ही वर्ण था।जीवन स्तोत्र 172 मूल रूप में एक ही