जीवन सूत्र 164 ईश्वर की प्राकृतिक न्याय व्यवस्था का करें आदरअध्याय 4 के ग्यारहवें श्लोक की पहली पंक्ति "जो मुझे जैसे भजते हैं,मैं उन पर वैसे ही कृपा करता हूँ",पर हमने पिछले आलेख में चर्चा की।दूसरी पंक्ति के अनुसार सभी मनुष्य सब प्रकार से,मेरे(ईश्वर के) ही मार्ग का अनुसरण करते हैं। वास्तव में हम मनुष्य जाने- अनजाने एक प्राकृतिक न्याय व्यवस्था के अंतर्गत अपना- अपना कार्य कर रहे हैं। जीवन सूत्र 165 भक्तों को है ईश्वर को पुकारने का अधिकारकर्मक्षेत्र में जैसे परिस्थिति उत्पन्न होती है मनुष्य अपनी सूझबूझ अपने अनुभव और आवश्यकता होने पर ईश्वर को सहायता की पुकार