गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 86

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जीवन सूत्र 132 हर समय उपस्थित होने को तत्पर हैं ईश्वरभगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है -यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।4/7।।परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4/8।।इसका अर्थ है,हे भारत ! संसार में जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूँ।साधुओं(सज्जनों) की रक्षा करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भलीभाँति स्थापना करनेके लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ। पिछले श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से सृष्टि के प्रारंभ के समय ज्ञान के अस्तित्व