साधना का हाथ थामे हुए गोपाल की आँखों से आँसुओं का सैलाब सा फूट पड़ा। निर्विकार सी नजर आनेवाली साधना भी कब तक अपनी भावनाओं पर काबू रखती ? गोपाल के आँसुओं को देखकर उसका दिल तड़प उठा। इससे पहले कि उसकी आँखों से भी गंगा जमुना बहने लगतीं वह तेजी से झुक गई थी गोपाल के पैरों में। उसके पैरों को स्पर्श करते हुए वह खुद पर भरसक काबू पाने का प्रयास कर रही थी कि तभी अपने कदमों में झुकी हुई साधना को गोपाल ने दोनों कंधे पकड़कर उठाया और अपने सीने से लगा लिया। साधना ने भी