महानतम गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन् - भाग 6

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रामानुजन के शोध कार्य का आरंभ उनके स्कूल के विद्यार्थी-काल से ही मानना चाहिए। रामानुजन तब तेरह वर्ष के रहे होंगे, स्कूल में पढ़ते समय ही उन्होंने अध्यापकों से विचित्र प्रश्न पूछने एवं गणितीय अभ्यासों के सरल हल निकालने आरंभ कर दिए। जैसा हम पहले बता चुके हैं, उनके घर में दो युवा विद्यार्थी रहते थे। उन विद्यार्थियों से उन्होंने पुस्तकालय से कुछ अन्य पुस्तकें लाने का आग्रह किया। जो पुस्तकें उन्होंने लाकर दीं, उनमें एस. एल. लोनी की ‘ट्रिगोनोमेट्री’ भी थी। (यह पुस्तक भारतीय स्कूलों में बीसवीं शताब्दी के छठे दशक के बाद तक प्रयोग होती रही है।) इस