10 इंद्रजीत के राज्याभिषेक के अवसर पर, रामसिंह के सौतेले भाई रघुनाथ सिंह ने मुगल दरबार में दतिया की गद्दी पर अपना दावा प्रस्तुत किया, किंतु एक बार फिर, ओरछा महाराज के हस्तक्षेप से राज्य निष्कंटक हुआ। रघुनाथ सिंह को नदीगांव की जागीर से ही संतुष्ट होना पड़ा। मराठों ने पूर्व में जो 'कर' दतिया राज्य से मांगा था और न मिलने पर पीला जी ने दतिया पर आक्रमण करके जो क्षति उठाई थी, उससे पेशवा बहुत नाराज था। फलस्वरूप 1738 में पेशवा बाजीराव प्रथम ने सेना सहित सीधे दतिया का घेराव किया तथा नाबालिग राजा एवं विधवा रानी से