डी-फोर शिवम् बैठा सोच रहा था कि सुबह तो ज़ल्दी ही उठना पड़ेगा, चार बजे उठने से ही सही समय पर रेल्वे स्टेशन पहुंँच पाएगा। इन्हीं विचारों के बीच शिवालिका ने उसे कहा - क्या सोच रहे हैं आप, सुबह जाने का मन नहीं है ना, चलो कल की छुट्टी ले लो। - नहीं रे छुट्टी और वो भी मार्च के महिने में, संभव नहीं है। दफ़्तर में मार्च की फाईनेन्शियल क्लोजिंग, आडिट के पैरो से बचना कितने ही लफड़े होते है। वैसे बीबी से दूर जाने का मन किसका करेगा भला, और वो भी तुम जैसी हो तो बिल्कुल