नैया - भाग 1

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नैया / सामाजिक उपन्यास/ शरोवन प्रथम भाग *** उपन्यास अंश; सुधा का स्वर फिर तेज़ हुआ तो माँझी पुन: अनुत्तरित हो गया । तब सुधा ने आगे कहा, " यदि आप मेरी जीवन रक्षा करने का सिला या प्रतिफल ही चाहते हैं, तो मैंने भी आपकी इसी कारण यहाँ मक्रील नदी के किनारे बुलाया भी है । याद है आपको, अब से कई माह पूर्व आपने इसी मक्रील के गर्भ से मुझे निकालकर एक नया जीवनदान दिया था । आपको अपने इस उपकार के बदले में क्या चाहिए ? मैं ? मैं तो नहीं मिल सकती आपको । पर हाँ,