गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 77

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जीवन सूत्र 104 105 106 भाग :76जीवन सूत्र 104: कामनाएं बनाती हैं हमें गुलामभगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है:-आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा।कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।(3.39)।इसका अर्थ है- हे कुंतीनंदन,इसअग्नि के समान कभी तृप्त न होनेवाले और विवेक रखने वाले मनुष्य के सदा शत्रु, इस काम के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढँका हुआ है। काम अर्थात कामना अर्थात किसी अभीष्ट को व्यक्तिगत रूप से सिर्फ और सिर्फ स्वयं के लिए स्थाई रूप से प्राप्त कर लेने का भावबोध। यह मान लेना कि इसे प्राप्त करने पर हमें भारी सुख प्राप्त होगा।इसे लेकर इस सीमा तक प्राप्त करने की तीव्र