( कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )अगली सुबह अयंशिका का घाव काफ़ी भर गया था।वरदान सुबह उसके पास आरती लेकर आता है . "आरती अयंशिका.!!"अयंशिका मुस्कुरा के आरती लेती है की वरदान शान को आरती दे देता है। धर्म उसके सर पर हाथ रख, "अंशि अब केसा लग रहा है.?"अयंशिका अच्छा भईया.!!चपला - यात्रा चल रही है.!!परअयंशिका :- हम चल लेंगे.!!सभी यात्रा के साथ तैयार हो जाते है। सब चलने लगे थे की चपला और धर्म हर तरफ नज़र रखे हुए थे। वही वरदान अयंशिका के एक हाथ थाम अपने एक हाथ से उसके कंधे