भाग 75 जीवन सूत्र 102-103 जीवन सूत्र 102 :अज्ञानता की परतें हटाने हेतु आवश्यक है अभ्यासगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है -धूमेनाव्रियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च । यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्।।3/38।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन!जैसे धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढक जाता है। जैसे जेर से गर्भ ढका रहता है।उसी तरह उस काम के द्वारा यह ज्ञान भी ढका रहता है। इस श्लोक से हम ज्ञान और विवेक के बाहरी आवरण से ढके होने की संकल्पना को एक सूत्र के रूप में लेते हैं।ज्ञान की ज्योति से प्रत्येक मानव प्रकाशित हो सकता है।वहीं प्रत्येक व्यक्ति के अपने अनेक आवरण