गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 75

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भाग 74 जीवन सूत्र 99 100 101 जीवन सूत्र 99:कामनाओं के पीछे भागना अर्थात अग्नि में जानबूझकर हाथ डालनाअर्जुन ने श्री कृष्ण से बाह्य प्रेरक व्यवहार के संबंध में प्रश्न किया-अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः।अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजितः।।3/36।।काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्।।3/37।।अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण !तब यह पुरुष बलपूर्वक बाध्य किए हुए के समान इच्छा न होने पर भी किसके द्वारा प्रेरित होकर पाप का आचरण करता है?भगवान श्री कृष्ण ने कहा - रजोगुण में उत्पन्न हुआ यह काम ही क्रोध है।यह अत्यधिक खाने पर भी तृप्त नहीं होता है और महापापी है।इसे ही