मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 8

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भाग 8कोतवाली से उन्हे शिनाख्त के लिये लाशघर भेजा दिया गया।वह लाश नूरी फूफी की ही थी। वह इस सदमें को बर्दाश्त नही कर पाईं थीं, उन्होनें खुदकुशी कर ली थी। सुबह-सुबह फ़ज्र की नबाज से पहले ही वह चुपचाप बुर्का पहन कर निकल गई थीं। अम्मी-अब्बू को तब पता चला जब अब्बूजान बुजू के लिये पानी लेने गये तो उन्होनें देखा था घर के लोहे के जाल वाले मेन गेट की कुण्डी नही लगी थी। वह खुली हुई थी। उसको सिर्फ भेड़ा हुआ था। सबसे पहले तो वह डरे थे। रात में जरुर चोर घुस आये हैं और उनके