किसी भी विषय में विशिष्ट ख्याति पाने के साथ असाधारण प्रतिभा से विभूषित व्यक्ति बहुत ही कम होते हैं। समय के साथ ओझल होना भी नियम ही है, परंतु विश्व - गणित मंडल में उज्ज्वल प्रतिभा के धनी श्रीनिवास रामानुजन इस नियम के अपवाद हैं। केवल तैंतीस वर्ष की अल्प आयु पानेवाले एवं पराधीन भारत में दरिद्रता के स्तर पर विवशताओं के मध्य पले-बढ़े रामानुजन ने गणित पर अपने शोधों से तथा उनके पीछे छिपी अपनी विलक्षणता की जो छाप छोड़ी है, उसे जानने के बाद किसी को भी आश्चर्य होना स्वाभाविक है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन