“अधिकार”बस अपनी तीब्र रफ्तार से पहाड़ी रास्तों पर भागी जा रही थी. पारुल खिड़की से तेजी से पीछे छूटते जा रहे दृश्यों को देख रही थी. जैसे-जैसे बस मैदानी इलाकों को छोड़कर पहाड़ों की तरफ बढ़ रही थी. एक तरफ पहाड़ ऊंचे हो रहे थे. दूसरी तरफ घाटियां हो रही थीं.दूर-दूर तक फैली पर्वत श्रंखलायें और उनके शिखरों पर फैले बादलों के टकड़े, मन को बरबस मोह रहे थे. यह देश का खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र उत्तराखंड था.“हमारे पहाड़ बहुत खूबसूरत हैं पारुल...” पापा अक्सर कहते, “वहां की हरीतिमा मन मोह लेती है...देवदार के घने जंगलों में खो जाने का मन