एक दिन सूरज और नताशा स्कूटर से घूमते हुए काफ़ी दूर निकल आए, जहाँ वह कभी भी नहीं जाते थे। उस रास्ते पर एक वृद्धाश्रम था जिस पर उसका नाम लिखा था 'आसरा वृद्धाश्रम'। सूरज के पांव अपने आप ही वहाँ पर ठहर गए। वह ध्यान से उसी तरफ़ देख रहे थे। उन्होंने कहा, "नताशा चलो ना अंदर चल कर देखते हैं। देखें तो यहाँ क्या व्यवस्था रहती है?" नताशा ने कहा, "यह आप क्या सोच रहे हो? क्या अब हम वृद्धाश्रम में रहेंगे?" "चल कर देखो तो सही।" सूरज की बात मानकर नताशा अंदर वृद्धाश्रम में आ गई। वहाँ