खाली हाथ - भाग 3

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अर्पिता के ऐसे व्यवहार के बावजूद भी नताशा हमेशा उस पर प्यार लुटाती रही, यह सोच कर कि प्यार के आगे तो हर इंसान झुक जाता है, पत्थर दिल भी पिघल जाता है। नताशा जैसा चाह रही थी, वैसा कुछ भी ना हो पाया। अर्पिता का व्यवहार दिन पर दिन और भी बुरा होता गया। रात को वह अरुण की बाँहों में जाकर झूठे मनगढ़ंत किस्से उसे सुनाती रहती। आज माँ ने ऐसा कहा, आज माँ ने वैसा कहा। वह नताशा की शिकायत करती ही रहती थी। अरुण को अर्पिता की बातों पर विश्वास नहीं होता क्योंकि वह तो अपनी