सरकारी काम से भावेश को राजकोट के दूरदराज के गांवों में कार्य प्रगति को देखने के लिए जाना पड़ा । सरकारी गाड़ी थी, ड्राइवर था लेकिन न जाने क्यों भावेश एक दम अकेला सा महसूस कर रहा था शायद जयन्त की कमी उसे खल रही थी । लेकिन मजबूरी थी कि दोनो मे से एक ही दौरे पर जा सकता था और बाॅस चाहते थे कि भावेश अकेला ही जाए । सो राजकोट से कोई डेड सौ किलोमीटर दूरपहली बार अकेले ही गांव रजवाड़ी, बागडा और भी न जाने आसपास के कोई पचासों गांवों का तीन दिन में दौरा करना