-–---सम्मारक--------गांव में अमूमन शान्ति का माहौल था क्योकि गांव के खुराफातियों ठाकुर सतपाल की मृत्यु हो चुकी थी और लाला गजपति और पंडित महिमा दत्त का मन पसंद शोमारू गांव का प्रधान हो चुका था ।शोमारू कम पढ़ा नही था सिर्फ साक्षर और सीधा साधा गंवार किस्म का अतिसाधारण ग्रामवासी था उसे किसी खुराफात से कोई मतलब नही था एव ना ही प्रधान होने का गुरुर या लालच।जो भी लाला गजपति और पंडित महिमा दत्त कहते करता जाता उसके लिये लाला गजपति और पंडित महिमा दत्त के आदेश का पालन ही अपना धर्म कर्म था इसके अतिरिक्त वह अपना कुछ