भाग 68 जीवन सूत्र 84 , 85जीवन सूत्र 84 :किसी को रोकने- टोकने के पहले रखें विकल्पगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:-प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः सज्जन्ते गुणकर्मसु।तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत्।।3/29।। इसका अर्थ है,"प्रकृतिजन्य गुणोंसे अत्यन्त मोहित हुए अज्ञानी मनुष्य गुणों और कर्मों में आसक्त रहते हैं।उन पूर्णतया न जान पाने वाले मन्दबुद्धि अज्ञानियों को पूर्णतया जान लेने वाले ज्ञानी मनुष्य विचलित न करे।" इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण प्रकृति और माया के वशीभूत होकर कर्म करने वाले लोगों की स्थिति पर प्रकाश डालते हैं। अपनी समझ के अनुसार ऐसे लोग विशिष्ट फल और कामना के उद्देश्य से कर्मरत रहते हैं। उन्होंने विभिन्न