फूलों का मन

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अमन कुुमार त्यागी माली के मुँह से क्या निकला कि उसकी बगिया में जो सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत फूल होगा, उसी को मंदिर में चढाया जाएगा। सुनकर फूलों में ख़ूबसूरत दिखने के लिए होड़ लग गई। होड़ लगती भी क्यों न? फूल जानते थे कि जो भी मंदिर में चढ़ेगा उसकी नस्लें सुधर जाएँगी। अब फूल ख़ूबसूरत दिखने के लिए तरह-तरह के उपाय सोचने लगे थे। क्यारियाँ अलग-अलग थीं मगर बगिया एक ही थी। पौधों की प्रजातियाँ भी अलग-अलग थीं मगर थे सब फूलों के पौधे ही। जिन डालों पर फूल लगे थे वे झूमने लगी थीं। तने, डालों और फूलों