वरदेखुआ

  • 2.9k
  • 1k

वरदेखुआआज से कुछ वर्ष पहले वर खोजने के लिए प्रायः लोग समूहों में चलते- दस-पाँच, दो-चार के समूहों में। महीनों अपने नाते रिश्ते में घूमते हुए सभी की शादियाँ तय करके घर लौटते । कभी कभी पुरोहित भी यह काम करते। वर देखने वालों को ही वरदेखुआ कहा जाता है। जिनके घर भी पहुँचते, अच्छी तरह स्वागत होता। स्नेह भरे परिवेश में शादियां तय हो जातीं । अभिभावक की भूमिका प्रमुख होती। शादी के लिए यदि ज़बान दे दी जाती तो उसे निभाया जाता। आजकल वर देखने के ढंग भी बदल गए हैं। संचार सुविधाओं के कारण फोन या इंटरनेट