गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 66

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जीवन सूत्र 75 ,76, 77 ,78 भाग 65 जीवन सूत्र 75 केवल उपदेश से दूसरों को ना सुधारेंगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है: -न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम्।जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान् युक्तः समाचरन्।।3/26।।इसका अर्थ है,ज्ञानी पुरुष,कर्मों में आसक्त अज्ञानियों की बुद्धि में भ्रम उत्पन्न न करे,स्वयं अपने कर्मों का अच्छी तरह आचरण कर,उनसे भी वैसा ही कराए। जो मनुष्य अभीष्ट फल और सिद्धि को ध्यान में रखकर कर्म करते हैं, उनकी उन कर्मों में आसक्ति हो जाती है।वास्तव में कर्मों को कर्तव्य और फल की इच्छा को त्याग कर किया जाना चाहिए।कर्मों को करने के लिए एक दिशा तो होनी चाहिए।जीवन सूत्र