वीर सावरकर - 9 - गृहस्थ-जीवन और सावरकर हिन्दू महासभा में

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संसार में जो सज्जन होते हैं उनके सब कार्य-कलाप और समस्त जीवन परोपकार के लिये ही होता है। हमारे चरित्रनायक वीर सावरकर का भी सारा जीवन देश सेवा और जेलों में ही कटा । इसीलये इनके जीवन में देश सेवा ही दृष्टिगोचर होती है, गृहस्थ जीवन का कुछ महत्त्व ही नहीं। सावरकर जी के जितने भी जीवन चरित्र आज तक लिखे गये हैं, उनमें इनके गृहस्थ जीवन पर प्रकाश नहीं डाला गया है।सन् १९०१ में सावरकर जी ने मैट्रिक पास कर लिया तब इनके विवाह का प्रश्न भी उपस्थित हुआ। सावरकर जी पहले तो अपना विवाह कराने से मना करते